रातों का तीमिर लिए उसने नैन सजाएं है हवाओं के आगोश में उसने गेशुए सवारें है फूलों सी रंगत होंठों में छुपाए है भोर की लाली लिए वो शरमाई है आसमान का एक टुकड़ा लेे उसने ओढ़नी बनाई है सितारों से उसने अपनी मांग सजाई है रागों से लेे कर के राग वो रागनी बन कर अाई है चांद रात पर एक चांदनी वो चकोर बन अाई है शामों का दीप बुझा कर वो प्रेम ज्योत बन अाई है हीर