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बेचैन समुंदर मन के अन्दर आन्दोलित होकर सीमाओं के ब

बेचैन समुंदर
मन के अन्दर
आन्दोलित होकर
सीमाओं के बांध पर
रोज रोज टकराकर
जाता है झकझोर
चला जाता है वह कहकर
बहुत सी बातें लेकर इधर उधर
विचलित है मगर
जारी है विमर्श इधर
मन के अन्दर
कई मुद्दों पर...

©vs dixit
  #बेचैनमन