White सुनते हैं आज भी तेरी महफ़िल में, मेरे नाम के चर्चे होते हैं, कैसे भुला पाओगी तुम मुझे, जो साथ जुड़े फ़र्ज़े होते हैं। वो लम्हे, जो हमने संग बिताए थे, वो ख्वाब, जो आंखों में बसाए थे, वो बातें, जो अनकही रह गईं, आज भी दिल में कहीं गहरे छिपाए थे। तू चाहे लाख कोशिश कर ले, पर यादों के धागे टूटते नहीं, वो वादे, जो हमने किए थे कभी, वो फ़र्ज़े आसानी से छूटते नहीं। तेरी राहों में जब भी कोई ग़म आएगा, मेरी याद का साया तुझे बचाएगा, कैसे भुला पाओगी मुझे तुम, जब हर कदम पर मेरा एहसास आएगा। आज भी तेरी महफ़िल में, मेरे नाम की बातें होती हैं, हमारे बीच जो जुड़ा है फ़र्ज़, वो कहानियाँ हर दिन रोती हैं। अशोक वर्मा "हमदर्द" ©Ashok Verma "Hamdard" 'दर्द भरी शायरी'