ये तो तय हैं जन्नत मरने के बाद नसीब होंगी तब तक नर्क मे रह कर दिल बहलाना चाहिये अच्छा नई हुआ यु अपनों से टूटना एक मौका जुड़ने का औऱ मिलना ही चाहिए इन्साफ जिन्दा रह सकता हैँ इस नामुराद दुनिया मे भी बस सितम औऱ वहशत का दौर थमना चाहिए वहशत की बस्ती मे गुनहगारों कि मस्ती कोई नई बात नहीं यहां सुधारको की एक पूरी जमात चाहिए क्या चाहिए?