माना कि जूनून की हद से गुजरना चाहते हो तुम कदाचित तुम जानते नही और इसकेलिए जरूरु भी नहीं कि तुम्हे हल्दी घाटी जाना पडे या कुरुक्षेत्र क़े मौदान मे जाकर शखनाद करना पडे तुम . तो जहाँ खड़े हो वही से जिहाद का बिगुल बजा सकते हो तुम्हारे लीए ये समझना भी जरूरी नहीं कि तुम कोरवो क़े बीच खडे हो या पांडवों क़े पांडल मे ©Parasram Arora शंख नाद.......