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पल्लव की डायरी राग द्वेष की परणति में गोता हम सब र

पल्लव की डायरी
राग द्वेष की परणति में
गोता हम सब रोज लगाते है
अहम इतने जीवन मे पलते
इनके वशीभूत होकर
कितने विकारों को गले लगाते है
कभी मीठा पन,कभी गुस्से में
अपने लाभ के लिये ठेस गैरो को पँहुचाते है
अनजाने कितने पाप बांध लिये
पीड़ा भव भव में झेलेंगे
अब मुझे भान हुआ है मन मेरा झकझोर रहा है
अन्तरकर्ण से कण कण सबसे
क्षमा क्षमा बोल रहा है
                                     प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव" #Likho अंतर्मन से कण कण,सबसे क्षमा क्षमा बोल रहा है
#nojotohindi
पल्लव की डायरी
राग द्वेष की परणति में
गोता हम सब रोज लगाते है
अहम इतने जीवन मे पलते
इनके वशीभूत होकर
कितने विकारों को गले लगाते है
कभी मीठा पन,कभी गुस्से में
अपने लाभ के लिये ठेस गैरो को पँहुचाते है
अनजाने कितने पाप बांध लिये
पीड़ा भव भव में झेलेंगे
अब मुझे भान हुआ है मन मेरा झकझोर रहा है
अन्तरकर्ण से कण कण सबसे
क्षमा क्षमा बोल रहा है
                                     प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव" #Likho अंतर्मन से कण कण,सबसे क्षमा क्षमा बोल रहा है
#nojotohindi