कैसे कहूं कथा अपने मन की व्यथा मन में है दुख अपार पड़े टूट टूट कर जो बिखरा अब तक ह्रदय ये पीड़ा कब तक सहे जाने मन ही मन की घूटन गला वर्षो से घोट रहा आह ..! ये वेदना मुझे धीरे धीरे तोड़ रहा अंधकार की काली साया क्यो मेरे जीवन में आया सांसे है और ये जान बला जिंदा हूँ मगर न जाने मैं कितने बार मरा रिंकी✍️ #तन्हाईकामंज़र #यकबेस्टहिंदीकोट्स #पीड़ा #यकबाबा #यकदीदी #यकफ़ीलिंग्स