सूरज सा हर रोज मैं ढलने लगा हूँ, मुट्ठी से गिरती रेत सा फिसलनें लगा हूँ। अब रहता हूँ खुशमिजाज तो हैरान हैं लोग शायद मैं अब धीरे-धीरे बदलनें लगा हूँ। #स्वरचित © #शून्य #सूरज #ढलने #रेत #खुशमिजाज #हैरान #धीरेधीरे