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मैं भी पंछी बन पाती खुली आस्माँ मे बिन किसी रोकटो

मैं भी पंछी बन पाती 
खुली आस्माँ मे बिन किसी रोकटोक के 
उड़ पाती 
हर दिन ख़्याल इसी बात का 
की कहिं कुछ गलत ना कर जाऊ
कहीं किसी को अपने हिस्से का दर्द ना दे जाऊँ 
हर बात का ख़्याल रक्खा हैं 
अपने हिस्से का दर्द ख़ुद सहा हैं 
जब नज़र गयी पिंजरे पे
तो पाया पंछी भी उदास हैं 
उसके हिस्से मे भी वहीं दर्द आया हैं 
ना लाज ना शरम किसी को कुछ भी कहने में 
हर बार सुनकर अपने अश्क़ो को छुपाया हैं 
क्या फरक हैं इस पंछी और मुझ में 
वो बंद पिंजरे में और ताऊम्र कैद मैंने पाया हैं...!!

©# musical life ( srivastava )
  #FadingAway 🍂खुला आस्माँ 🍂 Neel

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