#AzaadKalakaar पल्लव की डायरी वतन की मिट्टी,थप थपा रही है आँसुओ में भीग,विरह गा रही है दीवाने अब दिल लगाते नही है देशप्रेम के गीत गाते नही है खून की रवानगी कहाँ ग़ुम है हासिये पर खड़े हो, जवानी भारत की रोजी रोटी के लिये राजनीत के शिकार बने रहे है गढे मुद्दे बार बार तल रहे है सुभाष भगत की धमक धीमी कर आजादी की चमक कम कर रहे हो प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #AzaadKalakaar गढे मुद्दे बार बार तल रहे है #AzaadKalakaar