#बोलें क्या# अब बोलें भी तो बोलें क्या, राज मन के आगे सबके खोलें क्या! गिले शिकवे जो थे दरमियाँ, आ इन्हें अब धो लें क्या! क्या थी खता,वजह क्या थी, आ इन्हें अब तौलें क्या! भुलाकर सब त्रुटियाँ, एक नींद चैन की, सो लें क्या! हृदय में कसक है आज बहुत ग़र दो इजाज़त तो, पहलू में बैठ तुम्हारे, रो लें क्या! किसी राह, किसी मोड़ पर मुलाक़ात होनी ही है दिल के हर कोने में, बात यही सँजो लें क्या! यूँ तो बोझ बहुतेरे हैं इस जिंदगी में, आप कहें तो इस बोझ को भी, हम ही ढ़ो लें क्या! बोलें भी तो बोलें क्या! राज मन के आगे सबके, खोलें क्या! #राही