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फ़क़त साया है तेरा जो जिस्म से रूबरू नही होता अंधेरा

फ़क़त साया है तेरा जो जिस्म से रूबरू नही होता
अंधेरा  चीखता है फिर उजालों से  होकर  महरूम

©Irfan Saeed
  फ़क़त साया है तेरा जो जिस्म से रूबरू नही होता
अंधेरा चीरता है फिर उजालों से होकर महरूम

फ़क़त =(केवल)
रूबरू= आमने सामने, समक्ष
महरूम= वंचित, अभागा 
#शायरी
#shayari
irfansaeedfitnes6689

Irfan Saeed

Gold Star
Growing Creator

फ़क़त साया है तेरा जो जिस्म से रूबरू नही होता अंधेरा चीरता है फिर उजालों से होकर महरूम फ़क़त =(केवल) रूबरू= आमने सामने, समक्ष महरूम= वंचित, अभागा #शायरी #Shayari #stilllife

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