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अगर मेरी चाहत को इल्जाम दोगे, समझ ल

अगर मेरी चाहत को इल्जाम दोगे,
               समझ लो उसी दिन मेरी जान लोगे,
पता जब चलेगा मेरी मौत का तो,
               कफ़न से मुझे तुम क्या पहचान लोगे,
रातों को अक्सर बैचेन होकर,
               किसी और को भी मुझे मान लोगे,
ज़िक्र जब भी मेरा सुनोगे कहीं पर,
               उसी शाम तुम भी परेशान होंगे,
ताज्जुब तो तब हो के जब तुम भुला दो,
               रो-रो के अक्सर मेरा नाम लोगे..!!
-------अमित #बैचेनी
अगर मेरी चाहत को इल्जाम दोगे,
               समझ लो उसी दिन मेरी जान लोगे,
पता जब चलेगा मेरी मौत का तो,
               कफ़न से मुझे तुम क्या पहचान लोगे,
रातों को अक्सर बैचेन होकर,
               किसी और को भी मुझे मान लोगे,
ज़िक्र जब भी मेरा सुनोगे कहीं पर,
               उसी शाम तुम भी परेशान होंगे,
ताज्जुब तो तब हो के जब तुम भुला दो,
               रो-रो के अक्सर मेरा नाम लोगे..!!
-------अमित #बैचेनी
amitkumar3832

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