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नन्हा हूँ आज कल बहुत विशाल बनूगा दुनिया के ल

   नन्हा हूँ आज कल बहुत विशाल बनूगा
   दुनिया के लिए मैं भी बेमिशाल बनुगा
         मुझको कोई ज़मी मे लगाकर के सींच दे
         थोड़ी सी जगह अपने अंजुमन के बीच दे
  उसके मुसीबतों के लिए काल बनूगा
        रक्षक बनेंगी सबके लिए ये मेरी साँसे
          हरदम रहूँगा सबको फल फूल लुटाते
 हरदम मैं उसकी जिंदगी का ढाल बनूगा
         संकल्प लिया हमने  भी परोपकार का
          कीमत दिया प्राण दे सबके उधार का
  सबके लिए संजीवनी हर हाल बनूगा

©Sunil Kumar Maurya Bekhud
   पौधा

पौधा #कविता

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