कोई रंजिशें निकालो आओ बैठते हैं कोई तो बात चुभी होंगी कभी ,उसी पे लड़ने ही सही मग़र आओ बैठते है ज़िन्दगी की तमाम थकना मिट सकती एक गुफ़्तगू से बहुत कुछ लाज़मी हैं वक़्त बात दो आने का बस मैं चाय चढ़ा दूँगी,तुम वक़्त ले आना बस और कुछ नहीं चाहिए ,तुम सुकून के कुछ पल दे जाना बस एक यार के लिये लिखा है बस उसे समझ आ जायें इसलिए बिना किसी उम्मीद के लिखा है कोई रंजिशें निकालो..... ©Shraddha Shrivastava कोई रंजिशें निकालो #brothersday