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चमकते आंसू के क़तरे दामन पे गिर के ऐसे बिखर रहे है

चमकते आंसू के क़तरे दामन पे गिर के ऐसे बिखर रहे हैं,
किसी की आंखों की कहकशां के सितारे हैं ये जो मर रहे हैं!

कोई न समझा ये दिल के पंछी ख़मोश क्यूं हैं उदास क्यूं हैं,
सब अपनी बातों से फिर रहे हैं जो वादों से हम मुकर रहे हैं।

چمکتے آنسو کے قطرے دامن پہ گر کے ایسے بکھر رہے ہیں
کسی کی آنکھوں کی کہکشاں کے ستارے ہیں یہ جو مر رہے ہیں

کوئی نہ سمجھا یہ دل کی پنچھی خموش کیوں ہیں اداس کیوں
سب اپنی باتوں سے پھر رہے ہیں جو وعدوں سے مکر رہے ہیں
12122 12122 12122 12122

©Aliem U. Khan
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