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चाँद सा रोशन चेहरा जिसे देख पशेमाँ है चौदहवीं का च

चाँद सा रोशन चेहरा जिसे देख पशेमाँ है चौदहवीं का चाँद
वो महताब मेरे आंगन में उतरा है आज

मुद्दातों से जिसे निहारता रहा मैं दूर से
बाहों में वो चाँद सा रोशन चेहरा है आज

काफी थी डुबोने को सुरमई आँखें उसकी
क़यामत है जो रुख से नकाब उतरा है आज

सादगी ही क्या कम कातिल है उसकी
जो तसल्ली से वो बना संवरा है आज

मुद्दतों से दो बूंद का जो प्यासा रहा 'शजर'
इश्क़ से सराबोर वो दिल का सहरा है आज

(मुकम्मल ग़ज़ल कैप्शन में पढ़ें) जिसे देख पशेमाँ है चौदहवीं का चाँद
वो महताब मेरे आंगन में उतरा है आज

मुद्दातों से जिसे निहारता रहा मैं दूर से
बाहों में वो चाँद सा रोशन चेहरा है आज

काफी थी डुबोने को सुरमई आँखें उसकी
क़यामत है जो रुख से नकाब उतरा है आज
चाँद सा रोशन चेहरा जिसे देख पशेमाँ है चौदहवीं का चाँद
वो महताब मेरे आंगन में उतरा है आज

मुद्दातों से जिसे निहारता रहा मैं दूर से
बाहों में वो चाँद सा रोशन चेहरा है आज

काफी थी डुबोने को सुरमई आँखें उसकी
क़यामत है जो रुख से नकाब उतरा है आज

सादगी ही क्या कम कातिल है उसकी
जो तसल्ली से वो बना संवरा है आज

मुद्दतों से दो बूंद का जो प्यासा रहा 'शजर'
इश्क़ से सराबोर वो दिल का सहरा है आज

(मुकम्मल ग़ज़ल कैप्शन में पढ़ें) जिसे देख पशेमाँ है चौदहवीं का चाँद
वो महताब मेरे आंगन में उतरा है आज

मुद्दातों से जिसे निहारता रहा मैं दूर से
बाहों में वो चाँद सा रोशन चेहरा है आज

काफी थी डुबोने को सुरमई आँखें उसकी
क़यामत है जो रुख से नकाब उतरा है आज
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तेजस

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