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अतीत की कटीली पहाड़ों से कर्म पथ का मार्ग फिर उतर

अतीत की कटीली पहाड़ों से
कर्म पथ का मार्ग फिर
उतर आया -चुपचाप
 समेटे हुए
केशरिया प्रकाश सा

बचपन से 
मैंने देखा है
पहाड़ों सा दुर्लभ यात्रा 
 कभी चढ़ते कभी उतरते हुए
कभी चट्टानों की ठोकर, 
कभी पेड़ों की छावनी, 
कभी झाड़ियों की उलझन, 
कभी रेत में धसना चलना ,
 पर रुका नहीं थमा नहीं , गुजरता रहा ,
टकराकर शोर करता रहा
अपना आवेग खोकर
हानिरहित होता रहा ,
 स्वच्छ जल सा होकर
प्यासे के अंजुलि में 
खुद को भरकर 
पिलाया अमृत जैसा

तब भी वो सोचा नहीं 
जल की शीतलता और महत्व 
उसकी आकांक्षाओं को 
पहाड़ों से गिरते जल धार को
बस स्वार्थ सिद्धि के इमारतों को
 खड़े करते रहें
मुझे वृक्षों के 
जंगल
 गुमराह करते रहें 
पर स्वम में दृढ़ता संकल्प खंडित हुआ नहीं 
मानव जीवन में विनाश नहीं
सुख सम्पत्ति हेतु संघर्ष तत्पर रहें .....

_ #निशीथ

(ˇˍˇ)

©Nisheeth pandey अतीत की कटीली पहाड़ों से
कर्म पथ का मार्ग फिर
उतर आया -चुपचाप
 समेटे हुए
केशरिया प्रकाश सा

बचपन से 
मैंने देखा है
अतीत की कटीली पहाड़ों से
कर्म पथ का मार्ग फिर
उतर आया -चुपचाप
 समेटे हुए
केशरिया प्रकाश सा

बचपन से 
मैंने देखा है
पहाड़ों सा दुर्लभ यात्रा 
 कभी चढ़ते कभी उतरते हुए
कभी चट्टानों की ठोकर, 
कभी पेड़ों की छावनी, 
कभी झाड़ियों की उलझन, 
कभी रेत में धसना चलना ,
 पर रुका नहीं थमा नहीं , गुजरता रहा ,
टकराकर शोर करता रहा
अपना आवेग खोकर
हानिरहित होता रहा ,
 स्वच्छ जल सा होकर
प्यासे के अंजुलि में 
खुद को भरकर 
पिलाया अमृत जैसा

तब भी वो सोचा नहीं 
जल की शीतलता और महत्व 
उसकी आकांक्षाओं को 
पहाड़ों से गिरते जल धार को
बस स्वार्थ सिद्धि के इमारतों को
 खड़े करते रहें
मुझे वृक्षों के 
जंगल
 गुमराह करते रहें 
पर स्वम में दृढ़ता संकल्प खंडित हुआ नहीं 
मानव जीवन में विनाश नहीं
सुख सम्पत्ति हेतु संघर्ष तत्पर रहें .....

_ #निशीथ

(ˇˍˇ)

©Nisheeth pandey अतीत की कटीली पहाड़ों से
कर्म पथ का मार्ग फिर
उतर आया -चुपचाप
 समेटे हुए
केशरिया प्रकाश सा

बचपन से 
मैंने देखा है