दिल से निकली घुटी हुई इक आवाज़ हूँ मैं जीत कर हारे हुए लश्कर में आज हूँ दुख दर्द कष्ट पीड़ा और परेशानी को बयां न कर सके जो मैं वो अल्फ़ाज़ हूँ न फेर मुझसे नजर इक जरा सी बात पर रिकॉर्ड तोड़ तोड़ के खुद टूटा मैं आज हूँ लाखों उम्मीदें मुझसे थी सब चूर हो गई दिल को सुकूँ न दिला सका मैं वो साज हूँ सारे चाहने वाले खफा हो गए मुझसे कैसे कहूँ मैं खुद से आज नाराज हूँ अल्फ़ाज़-ए-नीरज✍🏻 ©Niraj Pandey #Virat