खुश रहती है,चुप रहती है, माँ से दूरी सह जाती है, अब सब खुश रहने लगे हैं, क्यूँकि बिटिया माँ बिन रह जाता है। माँ तय नहीं कर पाती कि मुझसे दूर रह कर वह, मजबूती से जीना सीख रही है, या उपर से सख्त हुई जाती मेरी बच्ची अंदर-अंदर खुद को ही पीना सीख रही है। मैं नहीं जानती कि दुनिया की विरोधात्मक बातें सुनकर, कल एक बेटी अपनी माँ को, कितना सही समझ पायेगी, किंतु जब अपने ही जने बच्चे को छोड़ कर, काम के लिए निकलेगी,तो अपराधबोध और विरोध से, एक क्षण भी नहीं घबरायेगी। खुश रहती है,चुप रहती है, माँ से दूरी सह जाती है, अब सब खुश रहने लगे हैं, क्यूँकि बिटिया माँ बिन रह जाती है। माँ तय नहीं कर पाती कि मुझसे दूर रह कर वह, मजबूती से जीना सीख रही है, या उपर से सख्त हुई जाती मेरी बच्ची