महफ़िल में चराग़ों के चर्चे अक्सर मशहूर हूए कोई जलने को तो कोई बुझने को मजबूर हुए बदमस्त से आलम में हमारी तकदीर बे-कदर चराग़ों की तरहा जले मगर जल कर धुंआ हुए #कुछशब्द #बद्मस्त