Nojoto: Largest Storytelling Platform

कंठ को विष से गीला कर गले में शेष सजाए भोले हाथ मे

कंठ को विष से गीला कर
गले में शेष सजाए भोले
हाथ में त्रिशूल लेकर
डम-डम डमरू बजाए भोले।
तिलक तुम्हारा आंख तीसरी
दैत्य को यम पहुंचाए भोले
तांडव है एकांक तुम्हारा
जो तुम पे ही भए भोले।
नदी पर होकर सवार तुम
करते असुरों का विनाश तुम
सब में तुम, तुम में ही सब हैं
तुम धरती-अंबर-आकाश तुम।
तेज तुम्हारा सब दु:ख हर ले
करते भक्तों में निवास तुम
देवों की पीड़ा तुम हरते
उनकी हो आखिरी आस तुम।
इक्कीस नाम तुम्हें श्रृंगारें
तुमने जग के कष्ट संहारे
महेश्वर, माया के ईश्वर
है शशिशेखर नाथ हमारे।
विष्णुवल्लभ, अंबिकापति
जटा में गंगा बहे तुम्हारे
जय शंभू, जय शर्व, जय भव
जय हर-हर तुम सबके प्यारे।
                                         -अभिषेक चौधरी

©Abhishek Choudhary
  #Maha_shivratri