क्या याद है तुझको वो मोहब्बत की बातें वो मेरा इंतजार करना और फिर तेरा स्टैंड पर आना, वो डीटीसी की बस और तेरी चैकवाली शर्ट, वो मेरा बाइक तेज चलाना और तेरा मुझसे कस कर लिपट जाना वो यूनिवर्सिटी की चाट और गिटार वाली बात, वो तेरा एग्जाम देने रोहिणी जाना और मेरा घंटो वहीं दिन बिताना वो जब हमारी पहली थी डेट और तू आयी थी लेट वो जब मैं पहली बार तुझपे चिल्लाया था और तूने बड़े प्यार से मुझे मनाया था वो जब तू मुझे शिजू बुलाती थी, मैं तुझे नक्कु बुलाता था, ! बंदर था मैं तेरा प्यारा , तुझे मैं बंदरिया बुलाता था!! ना जाने कितने ही नाम दिए थे प्यार में हमने ! तू मुझे मेंढक कह कर चिढ़ाती थी मैं छिप्पो कह कर सताता था! बता ना क्या याद है तुझको वो मोहब्बत की बातें चैटिंग में बिताई सारी रातें चल माना की तुझे ये सब याद नहीं पर कुछ पूछना है तुझसे बोल क्या सच सच बताएगी? क्या सच में तुझे मुझसे प्यार ना था क्या तेरे दिल में मेरे लिए कोई जज़्बात ना था क्यूं धोखा दिया प्यार में तूने या फिर धोखा ही मेरे प्यार का अंजाम था मैं पूरा ना कर सकू ऐसा क्या तेरा कोई अरमान था क्या मैं प्यार में बेईमान था या सिर्फ दिल बहलाने का सामान था क्यूं हर बार झूठ बोला मुझसे क्या तेरा भी कोई ईमान ना था ? अच्छा छोड़ ये तो बता क्या जिसके लिए धोखा दिया तूने क्या उसे भी तूने ही रिझाया था क्या उसे भी अपनी फरेबी निगाहों से भरमाया था या वो खुद ही तेरे पीछे आया था? कवि: इंद्रेश द्विवेदी (पंकज) ©Indresh Dwivedi #सवाल_जख्मीदिल_के