यह जो दिहाड़ी मजदूर हैं, इनकी जिंदगी का क्या होगा, यह इतने बेपरवाह है कि मौत सर पर उठा के निकल पड़ें! माना कि मंजिलें इनकी बहुत दूर है, पर यक़ी मानो और कोई रास्ता नही जहाँ से इनका घर नजदीक पड़े, कौन यूँ उम्र भर भटकता फिरना चाहता है, लोग ऐसे भी देखे है, जिनके पास चंद पैसे हो तो घूमने निकल पड़े! अब किस पर ऐतबार करें, इस मुश्किल समय में, बस इतना पता है "सूरी" गांव में कोई अपना हैं, तो यहाँ से निकल पड़े! सूरी✍️ #दिहाडी-मजदूर