अब खयालो का सम्मा ना फिर से जलाओं रात को रात रहनें दो कुछ पल के लिए, बहुत रौशन हुआ था तुम्हारे उम्मीदों से मन कट रही हैं पतंग अब ना दिशा दिखाओं, समेट लूंगी मैं ये अश्कों की बहती धारा मैंनें देखा हैं माँ को रिश्तों की बुनती माला, मेरी इस कहानी का कोई खुलासा नही ना रांझा ना हीर कोई दिलासा नही, वफा के रास्ते का होता कोई वजूद नही एक मन हैं रब के सिवा कोई सबूत नही। माधवी मधु ©madhavi madhu #shayari#gajal#poetry#shayari_dil_se