अभी फूल ही दिया था । के तुमने ज़ख्म निकाल दिये ये दिखाकर मुझको जिस्म से जान निकाल दिये सोचा भी न इक पल क्या होगा "ज़ुबैर"का बिना समझे तुमने इतने तमाशे कर लिये ©SZUBAIR KHAN KHAN DHOOL KA PHOOL #roseday