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तुम चलती हवा से आये मेरी ज़िंदगी में, गर्द फैला कर

तुम चलती हवा से आये मेरी ज़िंदगी में,
गर्द फैला कर फिर से चल दिये,
तुम्हें क्या मालूम कैसे समेटा मैंने सब,
गर्म लू के थपेड़ों में झुलसा गये |

©Rajni Sardana
  #ChaltiHawaa #उड़ती_गर्द