#नवनीत ठाकुर
ख़्वाब जो टूटे, वो चुभते तो हैं,
पर बिखरे टुकड़ों से आईने भी बनते तो हैं।
जख्मों की तासीर यूं ही नहीं मिटती,
इन पर मुस्कान के पैबंद लगते तो हैं।
खुशी का नक़ाब अब दस्तूर सा बन गया,
हर चेहरा इसे ओढ़कर मशहूर सा बन गया।
मगर दिल का सच कब तक छुप पाएगा,
हर खामोशी कभी तो चीख बन जाएगा।
जो खो दिया, उसकी गूँज अभी बाकी है,
हर याद में छुपा दर्द की झांकी है।
ग़मों से रिश्ता तोड़ना मुमकिन नहीं,
पर इन्हें सहना भी तो बर्दाश्त नहीं। #शायरी