बहुत से घाव तर किए मैने दर्द ये था तुम को ज़ख्म का बाइस नहीं जाना था कभी मैं बहुत मुमकिन है, आंधी रही,चाहतों में अपनी ठीक से नहीं पहचाना था कभी तुम वो ही हो....????, जो मैं समझती हु,तुम को या फिर,साबित ही कर दोगे के मैंने ही नहीं जाना था कभी एक ही ख्वाब था के सारे घावों का मरहम बन कर आओ तुम नमक बन सकने को तो पूरा ज़माना था इस नए घाव से तो मन बिल्कुल अनजाना था फ़िर मुझे क्यों रखा अंधेरे में क्यों मेरी रूह को घायल यू किया ज़ख्म जिस्म के बाहर दिखते हैं चंद रोज़ में भर जाते हैं पर ये जो खून से लथपथ पड़ी हैं,रूह मेरी इसके ज़ख्म किसी डरावने साए की तरह,दिल में घर कर जाते हैं मुझ से कह देते दो पल दिलजोई का जरिया हु मैं मुझ को उम्मीद नहीं रखनी थी तुम तक होगा मजाक मुमकिन है समझ जाती, फ़िर भी चाहती मैं तुम को सौदे आते नहीं करने मुझ को इस तरह टूट कर इतनी चाहत तो नहीं करनी थी अब तो उम्मीदें भी रुसवा हैं सब मैने घाव कमाए हैं नए जेहन मुझ पर नाराज़ बहुत है और ये बिखरी बिखरी सी ज़िंदगी मेरी बेआवाज़, बेसाज़ बहुत है मुझे फिर से गलत साबित ही कर जाओ ना इक दफ़ा,मरहम बन कर आओ ना... ©ashita pandey बेबाक़ #sad_quotes मोटिवेशनल कोट्स इन इंग्लिश प्रेरणादायक मोटिवेशनल कोट्स मोटिवेशनल कोट्स ऑफ़ द डे