टिम टिमाते तारो की. ओकात दो टके की रह जाती हैँ जब चाँद अपने घर से शृंगार करके सैरगाह को गगन क़े पटल पर आ धमकता हैँ.... किन्तु उसकी रौनक को भी चाट जाती हैँ ये छोटी छोटी काली काली बदलिया दीमक की तरह जो भरी हैँ बोझिल हैँ बौछारों क़े भार से पर चाह कर भी बरस नहीं पाती हैँ छोटी छोटी काली काली बदलिया