ऐशो-आराम ही जिंदगी नहीं, रहना तंग भी जरूरी है, जितनी मोहब्बत जरूरी है, उतनी जंग भी जरूरी है। और गिरगिट से बस यही, कला सीखी है मैंने, परिस्थितियों के अनुसार, बदलना रंग भी जरूरी है। जरूरी नहीं कि हर जरूरत में, अपनों की जरूरत पड़े, मगर जरूरी जरूरतों में, अपनों का संग भी जरूरी है। हर चीज जितनी घिसेगी, उतनी निखरकर आएगी, जरा सोचो, क्यों लोहे को, लगना जंग भी जरूरी है। मौज मस्ती करने के लिए, छह दिन काफी हैं, हफ्ते में एक दिन , सत्संग भी जरूरी है। 'ओमबीर काजल' सुख में कहां लोग, याद करते हैं भगवान को, इसलिए रंग में पडना, भंग भी जरूरी है। ✍Ombir Kajal✍ ©Ombir Kajal जरुरी है