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तू मुझमें सफ़र करता मैं तुझमें सफ़र करता रास्ता यूँ

तू मुझमें सफ़र करता
मैं तुझमें  सफ़र करता
रास्ता यूँ ही 
धीरे-धीरे सफ़र करता 
अगर तू हमसफ़र 
         मेरा बनता ,
तू मुझमें सफ़र करता ...।।

कभी टेढी कभी सीधी 
कभी ऊँची कभी नीची
इन राहों में    हाथ तेरा
मेरे हाथ में रहता
तू मुझमें सफ़र करता....।।

फिर साथ किसका 
कितने दिन का है 
चल वो भी छोड़ देते है 
तू वफ़ा तो करता 
हमसफ़र नहीं
 हमदर्द ही बनता तब भी
तू मुझमें सफ़र करता

ये क्या कम होता मेरे लिए
कि तू साथ था 
कभी मेरे लिए
उस पल का हिस्सा तो बनता
तू मुझमें सफ़र करता ..

       महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR तू मुझमें सफ़र करता
मैं तुझमें  सफ़र करता
रास्ता यूँ ही 
धीरे-धीरे सफ़र करता 
अगर तू हमसफ़र 
         मेरा बनता ,
तू मुझमें सफ़र करता ...।।
तू मुझमें सफ़र करता
मैं तुझमें  सफ़र करता
रास्ता यूँ ही 
धीरे-धीरे सफ़र करता 
अगर तू हमसफ़र 
         मेरा बनता ,
तू मुझमें सफ़र करता ...।।

कभी टेढी कभी सीधी 
कभी ऊँची कभी नीची
इन राहों में    हाथ तेरा
मेरे हाथ में रहता
तू मुझमें सफ़र करता....।।

फिर साथ किसका 
कितने दिन का है 
चल वो भी छोड़ देते है 
तू वफ़ा तो करता 
हमसफ़र नहीं
 हमदर्द ही बनता तब भी
तू मुझमें सफ़र करता

ये क्या कम होता मेरे लिए
कि तू साथ था 
कभी मेरे लिए
उस पल का हिस्सा तो बनता
तू मुझमें सफ़र करता ..

       महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR तू मुझमें सफ़र करता
मैं तुझमें  सफ़र करता
रास्ता यूँ ही 
धीरे-धीरे सफ़र करता 
अगर तू हमसफ़र 
         मेरा बनता ,
तू मुझमें सफ़र करता ...।।