मयख़ाने में मैं मय सानी ढूँढता हूँ। फूल बग़ीचे में फूलदानी ढूँढता हूँ। वो ढूँढता है,मुझमें कमियाँ कई, मैं उसमे अपनी जिंदगानी ढूँढता हूँ। कवि मुकेश गोगडे ©kavi mukesh gogdey #दिल_की_बात