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रंगीनियों से भरा था मेरी जिंदगी का शहर। बेबाक़ बेख़ौ

रंगीनियों से भरा था
मेरी जिंदगी का शहर।
बेबाक़ बेख़ौफ़ घूमता
गलियों में शामों सहर।
बेफिक्र ख्यालों सा था
बंजारों का जो सफ़र।
बेख़याली में होता रहा
तेरे ख्यालों का असर।
तेरे वजूद में यूं खोया
निग़ाहों में गया ठहर।
©अलका मिश्रा

©alka mishra
  #banjara
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alka mishra

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#banjara #Poetry

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