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अचरज हुआ मुझे ये पथर बाज़ी का हिंसक और नँगा खेल.

अचरज  हुआ मुझे ये
पथर बाज़ी का  हिंसक  और नँगा खेल.
देख कर
हाला कि वो मेरा अपना था  ओर उसके हाथ. मे भी
मुझ पर फैकने के लिये पथर था
और ये देख कर मुझे और आश्चर्य हुआ कि
मुझ पर पथर फैकने से पहले
उसके हाथ काँपे भी   नहीं थे

©Parasram Arora
  हिंसक  खेल

हिंसक खेल #कविता

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