मेरे अरमानो का ज़नाज़ा आज निकल गया है अब मचलने के लीये नहीं रहा कोई खिलौमा हमारे पास जीते जी धकेल दिया लोगो ने मुझे कब्र मे दम अभी निकला नहीं था पर कुछ साँसे अभी भी थी बाकी मेरे पास वो लोग कोई और रहे होंगे जिनके कोयले चंदन बने. थे तज़ुरबो क़ो पिघलाने के लिए नहीं थी कोई आंच हमारे पास ©Parasram Arora अरमानो का ज़नाज़ा