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White हसरतों की चाहत में राहत न मिली, कुदरत ने बख्

White हसरतों की चाहत में राहत न मिली,
कुदरत ने बख्शी इबादत जो दिली।


मोहब्बत का सागर था गहराई से भरा,
नफ़रत ने लेकिन उसे टुकड़ों में मरा।

 शिकायत से बेहतर है करना इनायत,
हिदायत के रस्ते पे छोड़ दे सियासत।

©नवनीत ठाकुर  मोहब्बत का सागर था गहराई से भरा,
नफ़रत ने लेकिन उसे टुकड़ों में मरा।
White हसरतों की चाहत में राहत न मिली,
कुदरत ने बख्शी इबादत जो दिली।


मोहब्बत का सागर था गहराई से भरा,
नफ़रत ने लेकिन उसे टुकड़ों में मरा।

 शिकायत से बेहतर है करना इनायत,
हिदायत के रस्ते पे छोड़ दे सियासत।

©नवनीत ठाकुर  मोहब्बत का सागर था गहराई से भरा,
नफ़रत ने लेकिन उसे टुकड़ों में मरा।