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।।। जिक्र किस किस्से की करू? तुमसे मिलने की, जिसकी

।।।
जिक्र किस किस्से की करू?
तुमसे मिलने की,
जिसकी कोई खबर नहीं थी।
इत्तेफ़ाक की, या नसीब की,
कुछ तो परे है, हकीकत से,
परे है मेरे  सपनों से, मेरे ख्वाबों से,
कुछ अजीब, कुछ अतरंगी सी।
 कुछ पल की सपना सी लगे,
जो कभी सच हो नहीं सकती,
जिसे चाह कर अपना नहीं सकती।
जो मेरे ख्वाबों के बादलों मैं 
कहीं गुम होते चले जा रहे हैं।
।।।

©Charushila
  #Shades
charushila9127

Charushila

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