Nojoto: Largest Storytelling Platform

पल्लव की डायरी ढलने लगा दिन,सूर्य सुस्ताने जा रहा

पल्लव की डायरी
ढलने लगा दिन,सूर्य सुस्ताने जा  रहा है
डूबा सब अंधेरे में,परिंदे घोसले में जा रहे है
शांत सब चराचर प्रकृति में,आराम फरमा रहे है
नही कल की चिंता,जुगाड़ों में जान नही फँसा रहे है
दिखावटी और बनावटी जीवन नही बना रहे है
चिंताओं में नींद गवाकर,रोगों को गले नही लगा रहे है
मर्यादाओं में रहकर,जीवन का लुत्फ उठा रहे है
चाँद, मंगल के सपने दिखाने वाले
धरती पर तूफान उठा रहे है
प्रदूषण हवा में केमिकल्स पानी मे मिलाकर
उपग्रह से आकाश भी दूषित बना रहे है
नेट इंटरनेट मायाजाल है
मानव को भौतिकता में फँसा रहे है
विशेषज्ञ विज्ञान के बनकर,भावनाओ को खा रहे है
मानव को रोबोट बनाकर,उसको संवेदनहीन बना रहे हो
                                                                  प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव" #Journey मानव को रोबोट बनाकर,उसे संवेदनहीन बना रहे हो
पल्लव की डायरी
ढलने लगा दिन,सूर्य सुस्ताने जा  रहा है
डूबा सब अंधेरे में,परिंदे घोसले में जा रहे है
शांत सब चराचर प्रकृति में,आराम फरमा रहे है
नही कल की चिंता,जुगाड़ों में जान नही फँसा रहे है
दिखावटी और बनावटी जीवन नही बना रहे है
चिंताओं में नींद गवाकर,रोगों को गले नही लगा रहे है
मर्यादाओं में रहकर,जीवन का लुत्फ उठा रहे है
चाँद, मंगल के सपने दिखाने वाले
धरती पर तूफान उठा रहे है
प्रदूषण हवा में केमिकल्स पानी मे मिलाकर
उपग्रह से आकाश भी दूषित बना रहे है
नेट इंटरनेट मायाजाल है
मानव को भौतिकता में फँसा रहे है
विशेषज्ञ विज्ञान के बनकर,भावनाओ को खा रहे है
मानव को रोबोट बनाकर,उसको संवेदनहीन बना रहे हो
                                                                  प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव" #Journey मानव को रोबोट बनाकर,उसे संवेदनहीन बना रहे हो