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वो किस्सा था कहानी थी, फ़साना था ज़माना था। घरों मे

वो किस्सा था कहानी थी, 
फ़साना था ज़माना था।
घरों में रंजिशें थी पर,
दिलों में घर बनाना था।
चले जो तीर नैनों के,
उन्हें तो दिल तक जाना था।
नहीं करते हैं तुमसे प्यार,
ये कहना तो बहाना था।
                          -शैलेन्द्र

©HINDI SAHITYA SAGAR
  वो किस्सा था कहानी थी, 
फ़साना था ज़माना था।
घरों में रंजिशें थी पर,
दिलों में घर बनाना था।
चले जो तीर नैनों के,
उन्हें तो दिल तक जाना था।
नहीं करते हैं तुमसे प्यार,
ये कहना तो बहाना था।

वो किस्सा था कहानी थी, फ़साना था ज़माना था। घरों में रंजिशें थी पर, दिलों में घर बनाना था। चले जो तीर नैनों के, उन्हें तो दिल तक जाना था। नहीं करते हैं तुमसे प्यार, ये कहना तो बहाना था। #शायरी #hindisahityasagar #poetshailendra

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