अपनों में ही आज जताना, पड़ता है की प्यार है । दौलत की इस दुनिया का , आज बड़ा बाजार है ।। अपनों में ही आज.... दूर -दूर अब रहने वाले , कहते बढ़ता प्यार है । चालीस लोग चार दिवारे , मत होता परिवार है ।। अपनों में ही आज... लाये हो क्या जेवर गहने , या मुँह से ही प्यार है । बीवी भी अब पूछ रही हे , ऐसे होता प्यार है ।। अपनों में ही आज... पूरी करते रहो मुरादें , तेरा ही घर द्वार है । जितने महंगे तोहफे दो , उतना ही अधिकार है ।। अपनों में ही आज.... दाना-दाना हाथों में अब , आता यह आनार है । बीवी भी अब पूछ रही है , यह कोई परिवार है ।। अपनों में ही आज... बेटे बेटी पूछ रहे है , डैडी क्या उपहार है । शायद भूल गये है डैड़ी ,जन्मदिवंस त्यौहार है।। अपनों में ही आज... दूर-दूर रहने से देखा , मिटते अब संस्कार है । आते पास कभी फुर्सत में , होती फिर तकरार है ।। अपनों में ही आज.. आफिस से जब थक कर लौटूँ , कहते सब बीमार है । फिर चिंतित सब दिखते मुझको , लेकिन सब बेकार है ।। अपनों में ही आज...। मंदिर जाकर मत्था टेके , घर में माँ लाचार है । साथ-साथ रहने का अब तो , आता नही विचार है ।। अपनों में ही आज..... मातु-पिता को सुबह शाम अब , मिलती बस दुत्कार है । जीवन में इन राहों की भी , लीला अपरम्पार है ।। अपनों में ही आज... अपने ही बन जाते दुश्मन , गैर जताएँ प्यार है । दौलत की इस दुनिया का ,आज बड़ा बाजार है अपनों में ही आज जताना , पड़ता है की प्यार है । दौलत की इस दुनिया का , आज बड़ा बाजार है ।। ०१/१०/२०२२ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR अपनों में ही आज जताना, पड़ता है की प्यार है । दौलत की इस दुनिया का , आज बड़ा बाजार है ।। अपनों में ही आज.... दूर -दूर अब रहने वाले , कहते बढ़ता प्यार है । चालीस लोग चार दिवारे , मत होता परिवार है ।। अपनों में ही आज...