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आधी आधी रात मै चाँद को देखने की जिद मे करती थी🌚🌝

आधी आधी रात मै चाँद को देखने की जिद मे करती थी🌚🌝
चाँद को अपना दोस्त यार सव कुछ  समझती थी🌚🌝
वो चाँद था मतलवी जो अपने दिल की वात सुनता था🖋🌚
लाख समझाती थी मै उसको  वो कहा मेरी ऐक सुनता था🌚🙉
छिप  जाता था वो कही दिन के उजाले मे अक्सर🚪🌚🚪
अपने गम  को छिपा लेती थी मै भी हसकर🌝😚😚
उससे मिलने के लिए सारा दिन इन्तजार करती थी🌝🧐
शाम होते ही  वो मुझसे मिलने  तारो की बारात लेकर आता था

आधी आधी रात मै चाँद को देखने की जिद मे करती थी🌚🌝 चाँद को अपना दोस्त यार सव कुछ समझती थी🌚🌝 वो चाँद था मतलवी जो अपने दिल की वात सुनता था🖋🌚 लाख समझाती थी मै उसको वो कहा मेरी ऐक सुनता था🌚🙉 छिप जाता था वो कही दिन के उजाले मे अक्सर🚪🌚🚪 अपने गम को छिपा लेती थी मै भी हसकर🌝😚😚 उससे मिलने के लिए सारा दिन इन्तजार करती थी🌝🧐 शाम होते ही वो मुझसे मिलने तारो की बारात लेकर आता था

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