मैं पहरेदार गली का हरदम खड़ा रहा खतरे में टांग अड़ानी पड़ी सदा ही औरों के पचड़े में मीठा होना पड़ता है सबको मीठा करने वाले गुड़ को लड़कर शांत कराने वाले पाया कहा से गुण को अजब द्वंद्व है इस दुनिया का शांत सजग रहना है शांत और शांति से रहकर लड़के शांत करना है आग से बचने ज्वलनशील को बुझने तक जलना है कहर से बचने को मेरे हर पहर गए पहरे में मैं पहरेदार गली का हरदम खड़ा रहा खतरे में ©दीपेश #पहरेदार #Nofear