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टूटी ज़रूर हूँ, पर हारी नहीं हूँ, मैं तन्हा ज़रूर

 टूटी ज़रूर हूँ,
पर हारी नहीं हूँ,
मैं तन्हा ज़रूर हूँ,
 पर घबराई नहीं हूँ,
राहें मुश्किल हैं मेरी,
 पर डगमगाई नहीं हूँ,
सफ़र लंबा है मेरा, 
पर हिचकिचाई नहीं हूँ,
चीज़ें शायद ज़रा आसान होतीं, 
जो हमसफ़र का साथ होता,
पर कभी भी किसी को, 
मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता,
मुझे भरोसा है, पर बना लूँगी, 
मैं अपना नया आशियाँ।

©Rishika Srivastava "Rishnit"
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#8:00
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