क्या करू कि मेरी आँखों में वापसी हो जाए ख़्वाबों की ताकि देख सकूँ अपने गुजरे ज़माने की दास्ताँ फिर से काश मै तुम्हे गले लगा पाता और रिझा पाता ताकि मै तुम्हारा मुरीद बन जाता एक बार फिर से तुम्हारी गली की रौनक तो आज भी बेहतर दिख रही है मन करता है गुजर जाऊं इस गली से एक बार फिर से कई बार अहसास होता है कि तुम मेरे अंदर ही कही गुम हो काश मै तुम्हे ढूंढ कर गले लगा पाता फिर से ©Parasram Arora क्या करू