सारी मर्यादायें तोड़ी , मन को थोड़ा किया सबल ! ज्यों ही पलटी मिरी ओर तो , आँखें भूल गयी हलचल !! फिर कन्धे पे सर को रखकर , बही प्रेम की धारा ! पल भर में मीठा हो बैठा , आँख का पानी खारा !! ऐसा ही है प्यार हमारा !! कुछ शिकायत वो करती थी , कुछ हमनें कर डाली ! पूर्ण समर्पित करके खुद को , प्रीत की लाज बचा ली !! निष्छल मन से एक एक , बातों का खुला पिटारा ! सब अधिकार स्वतः जागे अरु , झुलसा दुःख-अंगारा !! ऐसा ही है प्यार हमारा !! ख़्वाबों के सच हो जाने का , समय आ गया आज ! हे कान्हा ! मुझे आज हो रहा , तेरे काज पे नाज !! जिसकी तस्वीरों के बल पे , जीत गया जग सारा ! उनके सम्मुख आने से मैं , जीत जीत के हारा !! ऐसा ही है प्यार हमारा !! शरमा शरमा करके उसने , छल्ला कर दिया कपड़ा ! जिसमें उसने मिरे मन को , कस करके है जकड़ा !! उसका हाथ बने अम्बर अरु , मैं हो जाऊं तारा ! उसमें सिमटूँ उसमें निखरुं , उसका होऊँ यारा !! सदा रहे यूँ प्यार हमारा !!