मुक्तक:- मुश्किल से आती सुनो , रोटी घर मजदूर । भरते अपना पेट है , सूखी रोटी टूर । लेकिन अभिमानी सुनो , होते है ये खूब - होते मटर पनीर तो , उनसे कोसो दूर ।। १७/०५/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मुक्तक:- मुश्किल से आती सुनो , रोटी घर मजदूर । भरते अपना पेट है , सूखी रोटी टूर । लेकिन अभिमानी सुनो , होते है ये खूब - होते मटर पनीर तो , उनसे कोसो दूर ।। १७/०५/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर