दूर का ढोल चांद सितारा लगता है इस भागदौड़ में हर कोई बेचारा लगता है तंग गलियां ये बिखरी दमघोंट फिजाएं ये अजनबी शहर राम मुझे खसारा लगता है महफिल ये नजारे ये चकाचौंध है झूठी हर सूरत क्रीम-पाउडर से निखारा लगता है लहरों की थपेड़े अपना काम कर गई मेरा सबकुछ यहां कोना- किनारा लगता है इस भीड़ में है अजीब तन्हाइयों का आलम हर शक्स यहां हालात का मारा लगता है किस से कहे हाले दिल ये बंजारा कवि मुश्किल अपना यहां गुजारा लगता है 🖊️....*राणा रामशंकर सिंह* उर्फ बंजारा कवि #LostInCrowd