तेरी बेवफाई की आहट आईं फिरसे मै इसे छुप के कैद कर पाऊं तो अच्छा है आओ हकीकत बन के कभी दरमिया मेरे मै नफ़रत को फ़िरसे मोहब्बत कर पाऊं तो अच्छा है तेरे बीना रहने की आदत हो गई है ख़ुश रह़ना भी सीख रहा हूं बहुत जिंदा रह लिया अब सुन तेरी बीना भी मै मर पाऊं तो अच्छा है फ़र्क नहीं पड़ता ,किसी के आने - किसी के जाने से अरसे बित गए , वो दिन मोहब्बत के बडा निडर रहने लगा हूं आज कल मै फिर किसी हसी सुरत से डर जाऊं तो अच्छा है घर कर गई थी जो बिमारी इश्क़ की निकल फेंका है मैंने उसे और..बहुत दुर निकल आया किसी की तलाश में कोइ पुछे जो मेरे पता , मै मेरे शहर को मेरा घर कह पाऊं तो अच्छा है #poeticPandey #GAURAVpandeyPoet #MeraShehar 4