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White मुखड़ा जैसे चाँद का टुकड़ा किंतु हृदय है प्र

White मुखड़ा जैसे चाँद का टुकड़ा
किंतु हृदय है प्रस्तर सा
देख बुजुर्गों के ना पिघले
आँसू झरते निर्झर सा

यही कामना ,करें बंदना 
सेवा में तत्पर रहकर
गृह कार्यों को पूर्ण करें वो
जैसे हों घर के नौकर

सुन लें वो चुपचाप शांत हो
रोज सुनाएँ जब झिड़की
बात न बाहर जाए दिल की
बंद करें मन की खिड़की

बेखुद देखभाल ,आया सा
करें वो छोटे बच्चों की
यही आधुनिक नारी चाहे
बनकर बहू बुजुर्गों की

©Sunil Kumar Maurya Bekhud #आधुनिक_नारी @ हिंदी कविता
White मुखड़ा जैसे चाँद का टुकड़ा
किंतु हृदय है प्रस्तर सा
देख बुजुर्गों के ना पिघले
आँसू झरते निर्झर सा

यही कामना ,करें बंदना 
सेवा में तत्पर रहकर
गृह कार्यों को पूर्ण करें वो
जैसे हों घर के नौकर

सुन लें वो चुपचाप शांत हो
रोज सुनाएँ जब झिड़की
बात न बाहर जाए दिल की
बंद करें मन की खिड़की

बेखुद देखभाल ,आया सा
करें वो छोटे बच्चों की
यही आधुनिक नारी चाहे
बनकर बहू बुजुर्गों की

©Sunil Kumar Maurya Bekhud #आधुनिक_नारी @ हिंदी कविता